चिता में एक परछाई बेजान मर गया वह परछाई मर गया, वह परछाई मर गया। चिता में एक परछाई बेजान मर गया वह परछाई मर गया, वह परछाई मर गया।
वह व्यथा वह व्यथा
खुद तिल-तिल सुलगकर राख होती रहती है.....। खुद तिल-तिल सुलगकर राख होती रहती है.....।
बहुत मन था, उसे वापस एक बार प्यार करने का, पर फिर अगर उससे बेवफाई ही पायी तो ? बहुत मन था, उसे वापस एक बार प्यार करने का, पर फिर अगर उससे बेवफाई ही पायी तो ?
ताकि वस्ल की रात कुछ लंबी हो, ज्यादा नहीं तो, मेरी मौत तक ? ताकि वस्ल की रात कुछ लंबी हो, ज्यादा नहीं तो, मेरी मौत तक ?
वह तो निरंतर गतिशील होकर ही मानती है। वह तो निरंतर गतिशील होकर ही मानती है।